राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जयंती पर गोयनका कॉलेज में राष्ट्रीय संगोष्ठी



राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जयंती पर गोयनका कॉलेज में राष्ट्रीय संगोष्ठी

सीतामढ़ी सांस । शहर स्थित श्री राधा कृष्ण गोयनका महाविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा 'दिनकर' जी की जयंती के अवसर पर राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के साहित्य में राष्ट्रीयता विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।संगोष्ठी की शुरुआत कार्यक्रम के संयोजक एवं संचालक डॉ. श्रीकांत राव ने दिनकर जी की काव्य  पंक्तिया "कलम, आज उनकी जय बोल ,जला अस्थियाँ बारी-बारी ,चिटकाई जिनमें चिंगारी , जो चढ़ गए पुण्यवेदी पर लिए बिना गर्दन का मोल  कलम, आज उनकी जय बोल...से तथा अतिथियों को पुष्पगुच्छ तथा शॉल ओढाकर स्वागत के साथ हुई। संगोष्ठी में मुख्य वक्ता एवं उद्घाटनकर्ता के रूप में   पूर्व कुलपति, बाबासाहेब भीमराव अंबेदकर बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर डॉ रविन्द्र कुमार वर्मा रवि उपस्थित रहें।उन्होंने दिनकर की राष्ट्रीयता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि  राष्ट्रीय भावना और दिनकर दोनों पर्याय हैं। साथ ही दिनकर और प्रेमचंद की सहजता पर भी बात की। संगोष्ठी में मुख्य अतिथि प्राचार्य, देवचंद महाविद्यालय, हाजीपुर  डॉ तारकेश्वर पंडित ने  दिनकर की राष्ट्रीयता पर बात करते हुए कहा की  राष्ट्र है तभी राष्ट्रीयता है । विशिष्ट अतिथि  पूर्व अध्यक्ष, नगर परिषद, मनोज कुमार ने   संकुचित दृष्टि को राष्ट्रीयता के समाप्त होने का कारण बताया।प्राचार्य एस. एल. के. कॉलेज, डॉ अनिल कुमार सिन्हा  ने भी दिनकर के काव्य पर बात करते हुए कहा कि जिस कविता से आप में झंकार नहीं उत्पन्न हो वह साहित्य नहीं है। डॉ. गणेश राय, पूर्व विभागाध्यक्ष, हिदी गोयनका कॉलेज ने दिनकर जी के कृतित्व पर  बात करते हुए प्राधीनता को नर्क बताया और कहा पल भर की स्वतंत्रता सौ स्वर्गों से उत्तम है। जे. एस. कॉलेज, चंदौली के प्राचार्य  डॉ. दशरथ प्रजापति ने दिनकर के रचनात्मक कार्य के माध्यम से उन्हें जन कवि के रूप में प्रस्तुत किया।फ्रंट ऐज विद्यालय की प्राचार्य  अनुरंजना भारद्वाज ने दिनकर के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला। कॉलेज के अन्य प्राध्यापकों में प्रो. आनंद कुमार,  डॉ. इंद्र भूषण, छात्र  सज्जाद अंसारी एवं शिक्षकेतर कर्मियों में सुरेश कुमार अपना वक्तव्य प्रस्तुत किए।अध्यक्षीय भाषण के रूप में  प्राचार्य डॉ.राम नरेश पंडित पंडित ने मुख्य वक्ता एवं उद्घाटनकर्ता डॉ. रवि कुमार वर्मा रवि जी के साथ के संस्मरण को सुनाया और सभी के वक्तव्य के निचोड़ के साथ दिनकर जी को समझने के लिए उनकी रचनाओं को पद्य, गद्य और बाल कविताओं विभाजित कर पढ़ने की बात की। कहा कि दिनकर की कविताओं में विद्यापति के श्रृंगार का और भूषण के ओज का मणिकांचन संयोग है।दिनकर द्वंद्व के कवि हैं, विचारधाराओं का द्वंद है।कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन हिंदी विभाग के अध्यक्ष  एवं कार्यक्रम के संयोजक डॉ. आरले श्रीकांत लक्ष्मण राव ने किया। कार्यक्रम में  डॉ. रवि पाठक, प्रो. कृतिका वर्मा, डॉ. शशि कांत पांडेय, प्रो. अमृतलाल,  डॉ. वेद प्रकाश दुबे, डॉ. राकेश कुमार, डॉ. इंद्र भूषण, डॉ. रितेश पासवान, डॉ आनंद कुमार, डॉ सुशील कुमार, प्रो कल्याणी प्रसाद, प्रो.  ललन कुमार राय, प्रो  निखत फातिमा, श्र स्नेहा कुमारी आदि मौजूद थे।

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